Sawan Hariyali Amavasya 2024: Date and Time, Puja Timing, Vrat Vidhi
श्रावण के महीने में आने वाली अमावस्या को श्रावण अमावस्या कहा जाता है, इस अमावस्या को श्रावणी अमावस्या भी कहा जाता है। इस महीने से ही सावन की शुरुआत हो जाती है और सब तरफ हरियाली छा जाती है इसलिए इस अमावस्या का नाम हरियाली अमावस्या भी है।
बाकी अमावस्या की तरह इस Amavasya पर भी पितरों की शांति के लिए श्राद्ध एवं अनुष्ठान किए जाते हैं।
Hariyali Amavasya 2024 Date
Amavasya | Shravan Amavasya 2024 |
Also Known as | Hariyali Amavasya, Sawan Amavasya, हरियाली अमावस्या |
Date | August 4, 2024 |
Date | Sunday |
श्रावण अमावस्या का महत्व
धार्मिक और प्राकृतिक महत्व की वजह से अमावस्या काफी ज्यादा लोकप्रिय हैं क्योंकि इस दिन वृक्षों के प्रति कृतज्ञता के लिए वृक्षों को बोया जाता है और सब तरफ हरियाली छा जाती है। धार्मिक दृष्टिकोण से भी इस दिन पितरों का श्राद्ध किया जाता है और अन्य दान किया जाता है। यह अमावस्या तीज से 3 दिन पहले मनाई जाती है।
उत्तर भारत के कई मंदिरों में और खासतौर पर मथुरा एवं वृंदावन में इस अवसर पर विशेष समारोह आयोजित किए जाते हैं। भगवान कृष्ण के विशेष दर्शन कराए जाते हैं और विशेष दर्शन का लाभ लेने के लिए बड़ी संख्या में भक्त मथुरा में द्वारकाधीश मंदिर एवं वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर में पहुंचते हैं।
गुजरात में भी श्रावण अमावस्या को मनाया जाता है और यहां पर हरियाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या हरियाली अमावस के नाम से भी जाना जाता है।
शिव भक्तों के लिए सावन का महीना काफी महत्वपूर्ण होता है और वह इस समय भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। अमावस्या के दिन भारत के अलग-अलग हिस्सों में बड़े मेले आयोजित किए जाते हैं।
3 दिनों तक उत्सव जारी रहता है और वहां पर खाद्य पदार्थ मिलना जुलना और बहुत सारी मनोरंजक गतिविधियां की जाती हैं। पतियों के कल्याण के लिए महिलाएं प्रार्थना करती हैं।
Hariyali Amavasya Vrat Katha
एक पौराणिक कथा के अनुसार एक साहूकार अपने बेटे और बहू के साथ रहता था। एक दिन साहूकार की बहू ने मिठाई चुराकर खाली और कहा कि चूहों ने मिठाई खा ली है। यह सुनकर चूहों को काफी क्रोध आया। जिन्होंने मन में धारण कर लिया कर एक दिन वह साहूकार की बहू को अवश्य मजा चखाएंगे। एक दिन साहूकार के घर में कुछ मेहमान आए हुए थे जिनके सोने की व्यवस्था एक कमरे में की गई थी।
चूहों ने साहूकार की बहू के कपड़े मेहमानों के पलंग पर रखिए और सुबह जब नौकर कमरे की साफ सफाई करने आए तो उन्होंने बहू के कपड़े वहां पर देखकर आपस में कानाफूसी करनी शुरू कर दी। जिसकी खबर साहूकार को भी हो गई और उसने अपनी बहू को चरित्रहीन समझकर उसे घर से बाहर निकाल दिया। साहूकार की बहू पीपल के पेड़ के नीचे रोज दिया जलाया करती थी, एक दिन साहूकार जब थक हार कर पीपल के पेड़ के नीचे बैठा तो वहां पर साहूकार की बहू द्वारा दीपक रखा गया था और वहीं पर एक और दिया पड़ा था।
दोनों दीपक आपस में बातें करने लगे। एक दीपक ने दूसरे से पूछा कि तुम किस घर के दिए हो? तो उसने कहा कि मैं इस नगरी के साहूकार के घर का दिया हूं और साहूकार की बहू रोज पीपल के पेड़ के नीचे मुझे रख कर जाती है। इस के बाद वह दूसरे दीपक को बताने लगा कि साहूकार की बहू को मिठाई का बहुत शौक था और एक दिन उसने मिठाई खाने के पश्चात यह कह दिया के चूहों ने मिठाई खा ली। यह बात सुनने के बाद चूहों ने क्रोध में आकर साहूकार के घर में आए हुए मेहमानों के पलंग पर बहू के कपड़े रख दिए।
यह बात जब सारी नगरी में फैल गई तो साहूकार ने अपनी बहू को चरित्रहीन समझकर उसे घर से बाहर निकाल दिया जबकि वह बहुत ही भली औरत थी। पूजा करके प्रसाद भी सब में बांट देती थी। घर से निकलने के बाद भी वह पीपल के पेड़ की पूजा करती है। पहले जहां वह हरियाली की अमावस्या पर सवा सेर प्रसाद चढ़ाती थी, पर अब सवा पाव का प्रसाद चढ़ाती है। यह बातें कहने के बाद दीपक ने कहा कि वह चाहे ससुराल में रहे, चाहे अपने मायके में रहे; सब जगह उसको पीपल के पेड़ का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
यह बात सुनने के बाद सरकार ने घर आकर अपनी पत्नी को सारी बात बताई। इसके बाद वह दोनों बहू को मान सम्मान के साथ अपने घर ले आए। अगले साल हरियाली अमावस्या आने पर साहूकार एवं साहूकार के सारे परिवार ने सवा सेर प्रसाद चढ़ाया और सभी से कामना की कि श्रावण अमावस्या पर अपनी इच्छा अनुसार पूजा पाठ अवश्य करें।
व्रत विधि
- श्रावणअमावस्या के दिन कई लोग व्रत रखते हैं।
- इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद अनुष्ठान करते हैं और देवी देवताओं की पूजा करते हैं।
- अनुष्ठान करने के साथ-साथ उपवास का संकल्प लेते हैं।
- इस दिन लोग केवल एक भोजन खाते हैं और शाम को ही अपना उपवास खत्म करती हैं।
About Bhadrapada Amavasya
Hariyali Amavasya Puja Vidhi
- श्रावण अमावस्या के दिन नदी जलाशय कुंड आदि में स्नान किया जाता है।
- स्नान करने के बाद सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है।
- इसके बाद पितरों को तर्पण किया जाता है।
- पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखे जाते हैं तथा गरीबों में दान दक्षिणा दी जाती है।
- अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है ताकि ब्रह्मा, शिवजी औरविष्णु जी की कृपा प्राप्त हो सके।
- इस अमावस्या पर पीपल के पेड़ के अलावाबरगद, केला, नींबू, तुलसी आदि पेड़ों को बोया जाता है। ऐसा करना काफी शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन से हरियाली की शुरुआत हो जाती है। वैसे भी हिंदू शास्त्रों के अनुसार इन पेड़ों को देवताओं का वास माना जाता है।
- किसी नदी या तालाब में जाकर मछलियों कोआटे की गोलियां खिलाई जाती हैं तथा चीटियों को चीनी या सूखा आटा खिलाया जाता है।
- इस दिन हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है और हनुमान जी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाया जाता है।
- अमावस्या की शाम को मां लक्ष्मी को खुश करने के लिए घी के दीपक जलाए जाते हैं ताकि घर से गरीबी खत्म हो और खुशहाली आए।
- श्याम के समय शिवजी की विधिवत पूजा आराधना की जाती है और उन्हें खीर का भोग लगाया जाता है।
- रात के समय घर में पूजा करते समय पूजा की थाली में स्वास्तिक का निशान बनाया जाता है और महालक्ष्मी यंत्र रखा जाता है।
Shravan Amavasya 2024 Date
श्रावण अमावस्या 4 August 2024 को Sunday के दिन होगी।
Frequently Asked Questions
August 4
3:50 PM, August 3
4:42 PM, August 4