Vrishabha Sankranti 2023: वृषभ संक्रांति का महत्व, वृषभ संक्रांति पर भगवान विष्णु लक्ष्मी जी की पूजा का महत्व

Vrishabha Sankranti 2023 date is 15th May. Check its importance, katha and puja vidhi among other important details.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूरज देव महीने में एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे Sankranti कहते हैं। जब सूरज देव अपनी उच्च राशि मेष से निकलकर वृषभ में प्रवेश करते हैं, तो इसे वृषभ संक्रांति कहा जाता है। सूरज की इस राशि परिवर्तन से मौसम में परिवर्तन भी देखा जा सकता है। संस्कृत में वृषभ का अर्थ एक बैल से लिया जाता है। बैल को हिंदू धर्म में नंदी कहा जाता है जो कि भगवान शिव का वाहक माना जाता है। इसलिए हिंदू भक्तों के लिए ऋषभ संक्रांति का उत्सव बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग भगवान विष्णु जी की पूजा करते हैं। भगवान विष्णु जी की पूजा करने से मनुष्य को खुशहाल और समृद्ध जीवन  प्राप्त होता है और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

वृषभ संक्रांति का महत्व

हिंदू धर्म में वृषण संक्रांति का महत्त्व अत्यधिक माना जाता है। इस दिन सूरज पूजा का विशेष महत्व माना गया है। वृषभ संक्रांति के दिन सूर्य उदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने से भगवान सत्यनारायण की कृपा मनुष्य पर बनी रहती है। इस दिन सूरज देव की आराधना करने से सूर्य ग्रह के संबंधी दोष दूर होते हैं। सूरज आराधना करने से व्यक्ति को यश, कीर्ति और वैभव की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में वृषभ संक्रांति को मकर सक्रांति के समान माना जाता है। इस दिन पूजा पाठ और दान का विशेष महत्व  बताया जाता है। इस दिन पवित्र नदी और कुंड में नहाने से के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। वृषण संक्रांति जेस्ट महीने में आती है, इसलिए इस दौरान अन्न दान और जल दान का विशेष महत्व माना जाता है।

वृषभ संक्रांति की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि बहुत समय पहले धरमदास नाम का एक वैश्य रहता था। वह बहुत ही  दानी स्वभाव का था। एक दिन उसे अक्षय तृतीय के महत्व के बारे में पता चलता है कि शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर देवताओं और ब्राह्मण की पूजा करने से और दान करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। तब से वह अक्षय तृतीय का व्रत विधि विधान से करने लग जाता है। व्रत के दिन सत्तू, चना, गुड, दही आदि सामग्रियों का दान करने लग जाता है।  इसी बीच उसकी पत्नी ने उसे दान पुण्य करने से मना किया। परंतु वह नहीं माना और श्रद्धा भाव से उसने अक्षय तृतीया का व्रत पूरा किया। कुछ समय बाद धरमदास की मृत्यु हो जाती है। कहा जाता है कि कुछ दिन बाद उसका  पुनर्जन्म राजा के रूप में द्वारका के कुछ माटी नगर में हुआ था। मान्यता है कि अक्षय तृतीया का व्रत करने से उसे   फल स्वरूप राजयोग मिला था। तब से वृषभ संक्रांति के दिन व्रत की बहुत मान्यता है।

वृषभ संक्रांति की पूजा विधि

  • वृषभ संक्रांति केदिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई की जाती है।
  • वृषभ संक्रांति के दिन पवित्र नदी या सरोवर में स्नान किया जाता है।
  • यदि पवित्र नदी यह सरोवर में स्नान करना संभव ना हो तो घर में ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान किया जा सकता है ।
  • स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल दिया जाता है।
  • सूरज देव को अर्घ्य देते समय मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
  • वृषभ संक्रांति के दिन पितरों का तर्पण किया जाता है।
  • वृषभ संक्रांति के दिन भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा की जाती है।
  • इस दिन व्रत रखा जाता है और शाम को आरती के बाद फलाहार भोजन किया जाता है।
  • वृषभ संक्रांति के महीने में पानी पिलाना और भोजन कराना सबसे अधिक फलदाई माना जाता है।

वृषभ संक्रांति पर दान का महत्व 

वृषभ संक्रांति के शुभ मौके पर दान करने का अत्यधिक महत्व माना जाता है। अक्षय तृतीय पर अपनी कमाई का कुछ अंश दान करने से बहुत पुण्य मिलता है। इस दिन 14 तरह के दान का महत्व बताया जाता है। इसमें गाय का दान, भूमि, तिल, सोने, वस्त्र, धन्य, गुड, चांदी, नमक, शहद, मटकी, देसी घी, खरबूजा और कन्या का दान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। यदि कोई इन सब चीजों का दान ना कर पाए, तो सभी तरह के रस और गर्मी के मौसम में उपयोग की जाने वाली चीजों का दान किया जा सकता है। इन चीजों का दान करने से बुरा समय दूर हो जाता है।

वृषभ संक्रांति के दिन भगवान विष्णुलक्ष्मी जी की पूजा का महत्व 

शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीया पर नई चीजों की खरीदारी करना बहुत ही शुभ माना जाता है। विशेषकर इस दिन  सोने से बनी चीजें या गहने खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन व्रत रखकर विधि विधान से पूजा पाठ किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी और लक्ष्मी माता की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से बुद्धि और विद्या का वरदान मिलता है। मान्यता है कि वृषभ संक्रांति के दिन कुबेर देवता ने लक्ष्मी माता जी से धन की प्राप्ति के लिए प्रार्थना की थी। जिससे प्रसन्न होकर लक्ष्मी माता जी ने उन्हें धन और सुख समृद्धि से संपन्न कर दिया था। इसलिए इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी जी की पूजा करने से व्यक्ति हर तरह के सुख प्राप्त कर सकता है।

वृषभ संक्रांति के दिन किए जाने वाले उपाय 

  • वृषभ संक्रांति के दिन व्यक्ति को जमीन पर सोना चाहिए।
  • इस दिनब्रम्हचर्य का पालन किया जाना चाहिए।
  • वृषभ संक्रांति के दिनजरूरतमंद लोगों को दान करना चाहिए।
  • वृषभ संक्रांति के दिनभगवान सूर्य, विष्णु और शिव जी की पूजा की जाती है।
  • इस दिनपितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण किया जाता है।
  • वृषभ संक्रांति के दिनगाय माता का दान किया जाता है।

Vrishabha Sankranti 2023 Date and Time

  • वृषभ संक्रांति तिथि: 15 May 2023
  • Punya Kala: 5:31 AM to 11:58 AM on 15th May
  • Maha Punya Kala: 9:42 AM to 11:58 AM on 15th May

FAQs

What is the date of Vrishabha Sankranti 2023?

15th May 2023

Are Sankranti and Sankramanam same?

Sankranti is also known as Sankramanam in South India.

When is Maha Punya Kala?

From 9:42 AM to 11:58 AM on 15th May

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