Mesha Sankranti 2023: मेष संक्रांति पर दान का महत्व/ मेष संक्रांति तिथि
The date for Mesha Sankranti 2023 is Friday, 14th April 2023. This Sankranti is also known as Maha Vishuva Sankranti.
सूरज के एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करने को संक्रांति कहा जाता है। सूरज हर महीने दूसरी राशि में गोचर करता है। इस तरह साल में 12 Sankranti होती हैं। सूरज मेष राशि से अंतिम राशि मेघनगर भ्रमण करता है। सूरज के मीन राशि में प्रवेश करने को मेष संक्रांति कहा जाता है।
Mesha Sankranti 2023 Overview
Sankranti | Mesha Sankranti 2023 |
Date | 14th April 2023 |
Day | Friday |
Mesha Sankranti Importance (मेष संक्रांति का महत्व)
शास्त्रों के अनुसार मेष संक्रांति के दिन स्नान दान का विशेष महत्व माना जाता है। मेष संक्रांति के दिन अन्न दान करने का विशेष महत्व बताया जाता है। इस समय वैशाख महीने की प्रवृत्ति होती है। मेष संक्रांति के दिन ही सूरज देव उत्तरायण की अभी यात्रा को पूरा करते हैं। भारत में अलग-अलग जगहों पर मेष राशि को अलग अलग नाम से जाना जाता है। बंगाल में रहने वाले लोग मेष संक्रांति को नए साल के रूप में मनाते हैं।
मेष संक्रांति के दिन धर्मघट का दान, स्नान, तिल द्वारा पितरों का तर्पण किया जाता है। इस दिन मधुसूदन भगवान की पूजा करना महत्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों में बताया जाता है कि मेष संक्रांति के पुण्य काल में स्नान दान और पितरों का तर्पण करने से बहुत पुण्य प्राप्त होता है। मेष संक्रांति के दिन सूरज देव की पूजा अर्चना करने के साथ गुड और सत्तू खाने का नियम होता है। बिहार राज्य में मेष संक्रांति के दिन हो सतुआ के रूप में मनाया जाता है।
मेष संक्रांति पर शुभ कामों की शुरुआत
मीन संक्रांति से खरमास होने के कारण मांगलिक कामों पर रोक लग जाती है। इसलिए जब सूरज मेष राशि में प्रवेश करता है, तो खरमास खत्म हो जाता है। जिससे शुभ कामों की शुरुआत हो जाती है।
इस दौरान विवाह, नामकरण, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य किए जा सकते हैं।
मेष संक्रांति पुण्य काल
- मेष संक्रांति के दिन नदियों में स्नान करना शास्त्रों में बहुत ही पुण्यदाई बताया जाता है।
- मान्यताओं के अनुसार अगर कोई व्यक्ति मेष संक्रांति के दिन दान पुण्य करता है, तो यह अत्यंत फलदाई माना जाता है।
- शास्त्रों के अनुसार मेष संक्रांति के दिन संक्रांति से 4 घंटे पहले और 4 घंटे बाद तक पुण्य काल रहता है।
- मेष संक्रांति को उत्तराखंड में बिखोती के नाम से मनाया जाता है। मेष संक्रांति के दिन उत्तराखंड में रहने वाले लोग एक पत्थर को दैत्य का रूप मानकर उसे डंडे से मारते हैं।
- मेष संक्रांति के दिन उत्तराखंड में अलग-अलग जगह पर मेले लगाए जाते हैं।
- मेष संक्रांति के दिन परंपरागत नृत्य, गीत और संगीत का उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
Mesha Sankranti 2023 Puja Vidhi (मेष संक्रांति के पूजा विधि)
- मेष संक्रांति के दिन सूरज देवता कोजल देने का विशेष महत्व माना जाता है।
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यक्रियाओं से निवृत्त होने के बाद किसी पवित्र नदी में स्नान किया जाता है।
- यदि घर के आसपास कोई पवित्र नदी ना हो तो घर में ही पानी में थोड़ा गंगाजल मिलाकर स्नान किया जाता है।
- इस दिन स्नान करने के बाद लाल रंग के वस्त्र धारण किए जाते हैं।
- इसके बाद तांबे के लोटे में जल भरकर इसमें लाल चंदन, थोड़ा कुमकुम और लाल फूलों या गुलाब की पत्तियां मिलाई जाती हैं।
- तांबे के लोटे में जल भरकर पूरब दिशा की ओर मुंह कर के दोनों हाथों से लोटे को अपने सर से ऊपर की ओर उठा कर धीरे धीरे जल की एक धारा बनाई जाती है।
- इस तरह सूरज देव को 7 बार जल अर्पित किया जाता है।
- यदि सूरज देवता को घर पर ही अर्घ्य दे रहे हैं, तो जहां पर जल गिरेगा वहां किसी बर्तन या बाल्टी को रखा जाता है।
- ऐसा करने से जमा हुआ जल को किसी गमले पौधे या पेड़ की जड़ में डाल दिया जाता है।
- सूरज देव को जल अर्पित करते समय गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है।
- यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूरज नीचे के स्थान पर है, तो उसे मेष संक्रांति के दिन दान पुण्य करना चाहिए।
- मेष संक्रांति के दिन गरीब और जरूरतमंदों को गेहूं, गुड और चांदी का दान देना शुभ माना जाता है ।
- मेष संक्रांति के दिन सूरज देव की पूजा करने से सभी प्रकार के दुख रोग दूर हो जाते हैं।
मेष संक्रांति की कथा
एक बार विष्णु नारद जी ने भ्रमण करते हुए धरती के लोगों को अपने अपने कर्मों के अनुसार तरह-तरह के दुखों से परेशान होते हुए देखा। इससे उनका दिल द्रवित हो उठा और वह वीणा बजाते हुए भगवान श्री हरि के शरण में गए। उन्होंने भगवान से कहा कि वह धरती पर रहने वाले लोगों की व्यथा हरने वाला कोई उपाय बताएं। तब भगवान श्री हरि जी ने नारद जी से कहा कि उसने विश्व कल्याण की भावना से बहुत सुंदर प्रश्न किया है। तब भगवान जी ने कहा कि वह उन्हें एक ऐसा व्रत बताएंगे, जो स्वर्ग में भी दुर्लभ है और पुण्यदायक है। यह व्रत करने से मोह का बंधन घट जाता है और इस व्रत को विधि विधान से करने पर मनुष्य संसार के सारे सुखों को भोगकर परलोक में मोक्ष प्राप्त कर लेता है।
इसके बाद काशीपुर नगर के एक गरीब ब्राह्मण को भीख मांगते हुए देखकर भगवान विष्णु जी खुद ही एक बूढ़े ब्राह्मण के रूप में उस गरीब ब्राह्मण के पास जाते हैं और उस ब्राह्मण को कहते हैं कि सत्यनारायण भगवान मनवांछित फल देना चाहते हैं। वह ब्राह्मण उनका व्रत पूजन करे, जिससे उसके सारे दुख दूर हो जाएंगे। उन्होंने कहा इस व्रत का बहुत महत्व है। इस व्रत में भोजन ना लेना ही उपवास नहीं है। इस व्रत में ह्रदय धारणा होनी चाहिए। इसमें सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा श्रद्धा पूर्वक करनी चाहिए।
साधु ने यही प्रसंग राजा उल्कामुख से विधि विधान के साथ सुना दिया। परंतु उसका विश्वास अधूरा था। राजा की श्रद्धा में भी कमी थी। राजा ने कहा कि वह संतान प्राप्ति के लिए सत्यव्रत पूजन करेगा। समय मिलने पर उसके घर एक सुंदर कन्या ने जन्म लिया; राजा की पत्नी बहुत श्रद्धालु थी। उसने राजा को याद दिलाया, तो उसने कहा कि कन्या के विवाह के समय वह व्रत करेगा। समय आने पर कन्या का विवाह भी हो जाता है। परंतु उसने व्रत नहीं किया। राजा अपने दामाद को लेकर व्यापार के लिए चला जाता है ।चोरी के आरोप में राजा चंद्रकेतु द्वारा राजा और उसके दामाद को जेल में डाल दिया जाता है। इसके पीछे राजा के घर में चोरी भी हो जाती। उसकी पत्नी और पुत्री भीख मांगने के लिए मजबूर हो जाते हैं। एक दिन राजा की पुत्री किसी के घर सत्यनारायण की पूजा होते हुए देखती है और वह घर आकर अपनी मां से इस व्रत के बारे में कहती है। अगले दिन श्रद्धा पूर्वक भगवान सत्यनारायण जी का व्रत पूजन करती है। इस व्रत के दौरान उसने अपने पति और दामाद के घर आने की प्रार्थना करती है। लीलावती के व्रत से प्रसन्न होकर भगवान ने राजा को सपने में दोनों बंधुओं को छोड़ने का आदेश दिया। राजा ने उन दोनों को धन दौलत देकर वहां से विदा कर दिया। घर आकर राजा पूर्णिमा और संक्रांति को सत्यनारायण भगवान की पूजा का आयोजन करने लगा। इससे उसको सांसारिक सुख एवं अंत में मोक्ष की प्राप्ति हुई।
मेष संक्रांति पर दान की महत्वता
- मेष संक्रांति पर गरीबों और जरूरतमंदों को खाने पीने की चीजों का दान किया जाता है।
- इस दिन कपड़े और जूते चप्पल का दान भी किया जाता है।
- मेष संक्रांति के दिन गाय को हरी घास खिलाने से बहुत पुण्य मिलता है ।
- मेष संक्रांति के दिन सूरज से संबंधित चीजों जैसे तांबे का बर्तन, लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, लाल चंदन आदि का दान किया जाता है।
मेष संक्रांति तिथि (Mesha Sankranti 2023 Date)
मेष संक्रांति तिथि 14 अप्रैल, 2023 Friday को होगी।
Frequently Asked Questions
Mesha Sankranti falls on 14th April 2023.
April 14 (10:55 AM to 06:46 PM)
April 14 (1:04 PM to 05:20 PM)