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Road Accident क्लेम कैसे लें, रोड एक्सीडेंट में डेथ क्लेम कैसे लें?

ड्राइवर की लापरवाही, तेज स्पीड, शराब पीकर गाड़ी चलाना, छोटी उम्र में ही गाड़ी चलाने की कोशिश करना, मोटरसाइकिल या स्कूटर चलाते वक्त हेलमेट ना पहनना आदि की वजह से ही रोड एक्सीडेंट होते हैं। कई बार रोड एक्सीडेंट में लोग घायल हो जाते हैं एवं कई बार तो ऐसा हो जाता है कि लोगों की जान तक चली जाती है।

पूरी दुनिया में रोड एक्सीडेंट से हर साल लगभग 12 लाख लोगों की मौत हो जाती है। भारत देश की बात करें तो 10% एक्सीडेंट जो कि लगभग डेढ़ लाख बनते हैं, केवल भारत में ही होते हैं। रोड एक्सीडेंट या सड़क दुर्घटनाओं की वजह से बहुत सारी शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है और कई बार तो दुर्घटना की स्थिति में व्यक्ति की मृत्यु भी हो जाती है। ऐसे में एक्सीडेंट क्लेम की राशि प्राप्त करके कुछ हद तक आर्थिक नुकसान को तो कम किया जा सकता है। अलग-अलग प्रकार की राशि अलग-अलग अवस्थाओं में रोड एक्सीडेंट के दौरान प्रदान करवाई जाती है।

यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो ऐसे मामले में 5 लाख तक रुपए की राशि क्लेम की जा सकती है। जो व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो जाए, ऐसी स्थिति में ढाई लाख रुपए की राशि क्लेम की जा सकती है। हिट एंड रन मामले में मृत्यु होने पर मृत व्यक्ति को ₹200000 मिलते हैं जबकि गंभीर चोट की स्थिति में ₹50000 की राशि का प्रावधान दिया गया है।

रोड एक्सीडेंट कौनकौन क्लेम कर सकते हैं?

मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत मुआवजे के लिए निम्नलिखित लोग अप्लाई कर सकते हैं:

  • दुर्घटना में जो व्यक्ति मारा गया है उसके रिश्तेदार एवं उत्तराधिकारी
  • घायल द्वारा या गंभीर होने की स्थिति में उसके सगे संबंधियों द्वारा या फिर उत्तराधिकारी द्वारा
  • जिस व्यक्ति की शारीरिक क्षति हुई है उसकी ओर से भी मुआवजे के लिए आवेदन किया जा सकता है।

रोड एक्सीडेंट को क्लेम करने के लिए आवश्यक दस्तावेज

एप्लीकेशन के साथ कुछ दस्तावेज होने अनिवार्य हैं जो कि निम्नलिखित प्रकार है:

  • दुर्घटना के संबंध में एफ आई आर दर्ज करवाई गई है उसकी एक फोटो कॉपी
  • मृत्यु की स्थिति में डेथ सर्टिफिकेट एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कॉपी
  • मृतक एवं दावेदारों की पहचान से संबंधित दस्तावेज
  • मृत व्यक्ति का आमदनी प्रमाण पत्र
  • मृतक व्यक्ति का जन्म सर्टिफिकेट
  • यदि एप्लीकेशन थर्ड पार्टी के द्वारा लगाई जा रही है तो थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नोट
  • अगर व्यक्ति पहले से ही विकलांग है तो उसका विकलांगता प्रमाण पत्र

रोड एक्सीडेंट कहां पर क्लेम किया जाता है?

यदि किसी भी प्रकार की सड़क दुर्घटना हो जाए तो ऐसे में रोड एक्सीडेंट क्लेम करने के लिए निम्नलिखित जगहों पर जाया जाता है:

  • जिस स्थान पर दुर्घटना हुई है उसके जिले के ट्रिब्यूनल के अधिकार क्षेत्र में
  • जिस स्थान पर दावेदार रहता है या व्यवसाय करता है क्लेम ट्रिब्यूनल के स्थानीय सीमा के अंदर
  • जिस स्थान पर प्रतिवादी व्यक्ति रहता है वहां के क्लेम ट्रिब्यूनल की सीमा के अंदर आवेदन किया जा सकता है।

Process to apply for NEW IGL connection

रोड एक्सीडेंट क्लेम करने के लिए Application Process

मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 164 के तहत मुआवजे के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू की गई है जो कि निम्नलिखित प्रकार है:

  • सबसे पहले तो रोड एक्सीडेंट की सारी जानकारी पुलिस को सूचित करनी जरूरी है।
  • इसके बाद इंश्योरेंस एजेंट या कंपनी को एक्सीडेंट के संबंध में सूचित किया जाता है।
  • पुलिस को गाड़ी के कागजात जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, गाड़ी रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, गाड़ी का इंश्योरेंस कॉपी उपलब्ध करवाई जाती है।
  • पॉलिसी नंबर की डिटेल भी शेयर की जाती है।
  • घटनास्थल का निरीक्षण करने के पश्चात अपनी एक रिपोर्ट बनाकर 30 दिनों के अंदर मोटर एक्सीडेंट ट्रिब्यूनल को भेज देती है।
  • इंश्योरेंस एजेंट की सूचना पर इंश्योरेंस कंपनी का व्यक्ति सर्वे करता है और क्षति के आकलन के पश्चात तमाम दस्तावेजों के साथ अपनी रिपोर्ट इंश्योरेंस कंपनी को सौंप देता है।
  • सर्वे रिपोर्ट के आधार पर ही इंश्योरेंस कंपनी क्लेम राशि निर्धारित करती है।
  • यदि इंश्योरेंस कंपनी दी गई रिपोर्ट से सहमत नहीं होती तो ऐसे मामले में ट्रिब्यूनल कोर्ट में जाया जाता है।
  • यदि फैसला आवेदक के हाथ में होता है तो ऐसे में इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम तय करने के लिए 30 दिन आगे का समय दे दिया जाता है।
  • यदि फिर भी सेटलमेंट नहीं होती तो केस चलता रहता है और क्लेम राशि कोर्ट के द्वारा तय की जाती है।
  • इंश्योरेंस कंपनी को क्लेम राशि का भुगतान आवेदक को करना होता है।

ऐसी कौन सी परिस्थितियां हैं जिनमें इंश्योरेंस कंपनी क्लेम से मना कर सकती है?

 निम्नलिखित इंश्योरेंस कंपनी भुगतान करने से मना कर सकती है:

  • यदि दुर्घटना के समय मारा गया व्यक्ति लापरवाही से गाड़ी चला रहा हो तो ऐसे में इंश्योरेंस कंपनी भुगतान करने से मना कर सकती है।
  • एक्सीडेंट के समय ड्राइविंग कर रहे व्यक्ति के पास ड्राइविंग लाइसेंस या वाहन से संबंधित ऑफिशियल डाक्यूमेंट्स ना हो तो ऐसी स्थिति में भी इंश्योरेंस कंपनी भुगतान करने से मना कर सकती है।
  • एक्सीडेंट जिस व्यक्ति का हुआ है यदि उस व्यक्ति का लाइसेंस जप्त हो गया हो तो ऐसी स्थिति भी भुगतान करने के लिए माननीयनहीं होती।
  • यदि दुर्घटना के समय वाहन चालक ने शराब पी रखी हो, तब भी इंश्योरेंस कंपनी भुगतान देने सेमना कर सकती है।
  • यदि वाहन चालक एक लर्नर है और दुर्घटना के समय उसके पास लर्निंग लाइसेंस नहीं है तो ऐसी स्थिति में भी इंश्योरेंस कंपनी भुगतान की राशि देने से मना कर सकती है।

Check Kaun Banega Crorepati registration

ऑन स्पॉट एग्रीमेंट

किसी भी वाहन का यदि एक्सीडेंट हो जाता है तो ऐसे में कई बार ऐसी कोशिश की जाती है कि ऑन द स्पॉट ही एग्रीमेंट कर लिया जाए परंतु ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से कई बार दुर्घटना क्लेम नहीं मिलता। यदि वाहन का इंश्योरेंस है तो इसकी सारी जिम्मेदारी बीमा कंपनी की ही होती है और व्यक्ति की मृत्यु की स्थिति में भी जिम्मेदारी बीमा कंपनी की ही होती है और इसका के इंश्योरेंस कंपनी के द्वारा ही लड़ा जाता है। इसलिए दुर्घटना के दौरान किसी भी प्रकार का ऑन द स्पॉट एग्रीमेंट नहीं करना चाहिए। ऑन द स्पॉट समझौते से कई बार मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की जाती है जिससे भुगतान की राशि भी नहीं मिलती और व्यक्ति का नुकसान भी होता है।

एक्सीडेंट के मुआवजे के लिए कब आवेदन किया जा सकता है?

एक्सीडेंट होने के पश्चात इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रोड एक्सीडेंट का भुगतान लेने के लिए 6 महीने के अंदर अंदर आवेदन कर दिया जाना चाहिए अन्यथा इंश्योरेंस कंपनियां भुगतान करने के लिए आनाकानी करने लग जाती हैं।

इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि क्लेम करने के दौरान कानूनी प्रतिनिधि भी साथ में होना चाहिए एवं इंश्योरेंस एजेंट भी मौजूद होना चाहिए।

हिट एंड रन मामले में अलग योजना

रोड एक्सीडेंट के लिए जो व्यक्ति जिम्मेदार है यदि उसकी पहचान हो जाए तो ऐसे में रोड एक्सीडेंट क्लेम बीमा कंपनी के द्वारा दिया जाता है; लेकिन हिट एंड रन मामले में यदि मारने वाला व्यक्ति फरार हो जाता है तो ऐसे में उस व्यक्ति को पीड़ित को हर्जाना राशि देनी पड़ती है। एक्सीडेंट में मोटर व्हीकल एक्सीडेंट फंड के द्वारा भी पीड़ितों की मदद की जाती है।

Team Edudwar

Editorial Team Edudwar.com

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3 Comments

  1. Mere accident ke bad mujhe Lucknow bhej diya Gaya aur Sara ilaaj private hospital mein hua uske bad mein UP Ke Shahar Gorakhpur mein plastic surgery karaya uske bad main BRD Medical College mein Mera ilaaj chal raha hai mere accident ko dedh sal ho chuka hai abhi bhi main theek nahin hua hun

  2. Vehicle का इंसुरेंस नहीं हो तो किस से लड़ा जाएगा

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