Aja Ekadashi 2024: देखें कब है भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी (अजा एकादशी), तिथि, पूजा विधि व व्रत कथा
Aja Ekadashi 2024: भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम अजा एकादशी है। यह समस्त पापों का नाश करने वाली है। इस एकादशी के दिन भगवान श्री विष्णु जी का पूजन किया जाता है। जो मनुष्य इस दिन श्री हरि विष्णु जी की पूजा करता है उसे बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
मान्यता है कि इस व्रत को करने वाले को अश्वमेध यज्ञ के बराबर फल की प्राप्ति होती है। वैसे तो सभी एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, लेकिन अजा एकादशी श्री हरि को अति प्रिय होती है। इस एकादशी को अन्नदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का आधार पौराणिक, वैज्ञानिक और संतुलित जीवन है। इस उपवास के विषय में यह मान्यता है कि इस उपवास के फलस्वरूप मिलने वाले फल अश्वमेध यज्ञ, कठिन तपस्या, तीर्थों में स्नान-दान आदि से मिलने वाले फलों से भी अधिक होते हैं। यह व्रत करने से हृदय शुद्ध होता है तथा सदमार्ग की ओर प्रेरित करता है।
Aja Ekadashi Tithi (Kab Hai Aja Ekadashi 2024)
एकादशी तिथि प्रारंभ: गुरूवार 29 अगस्त 2024, प्रातः 01:18 AM
एकादशी तिथि का समापन: शुक्रवार 30 अगस्त 2024 प्रातः 01:36 AM
पारण का शुभ मुहूर्त: 30 अगस्त, 2024, प्रातः 08:44 AM से 11:12 AM तक
अजा एकादशी का व्रत गुरूवार 29 अगस्त को रखा जाएगा
अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi Vrat Katha)
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम के वंश में अयोध्या नगरी में एक सत्यवादी हरिश्चंद्र नाम का एक चक्रवर्ती राजा राज्य करता था। वह अत्यंत वीर प्रतापी और सत्यवादी था। राजा अपनी सत्य निष्ठा और ईमानदारी के लिए सब जगह प्रसिद्ध था। एक बार देवताओं ने सोचा कि क्यों ना राजा हरिश्चंद्र जी की परीक्षा ली जाए इसलिए उन्होंने परीक्षा लेने की एक योजना बनाई। इस योजना के अनुसार ऋषि विश्वामित्र ने उनसे राजपाट दान में मांगा राजा ने अपने वचन का पालन करते हुए अपना पूरा राज्य विश्वमित्र को सौंप दिया और इसके बाद दान की दक्षिणा को चुकाने के लिए उन्हें अपनी पत्नी और पुत्र को भी बेचना पड़ा।
वह स्वयं एक चाण्डाल का सेवक बन गया। उसने उस चाण्डाल के यहां कफन लेने का काम किया परंतु उसने आपत्ति के काम में भी सच का साथ नहीं छोड़ा।
जब इस प्रकार रहते हुए उसको बहुत वर्ष बीत गए तो उसको अपने इस नीच कर्म पर बहुत दुख हुआ और वह इस से मुक्त होने का उपाय खोजने लगा। वह उस जगह सदैव इसी चिंता में रहने लगा कि वह क्या करें। जब वह चिंता कर रहा था, तो गौतम ऋषि आए। राजा ने उन्हें देखकर प्रणाम किया और अपनी दुख की कथा सुनाने लगा । गौतम ऋषि उन्हें इस संकट से उभरने का उपाय बताते हैं और अजा एकादशी का व्रत करने को कहते हैं। राजा मुनि के कहे अनुसार नियम के साथ व्रत करते हैं। उनके पिछले जन्म के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उन्हें व्रत के प्रभाव से अपना परिवार और खोया हुआ राजपाट पुन: मिल जाता है। उस समय स्वर्ग में नगाड़े बजने लगे तथा पुष्पों की वर्षा होने लगी।
उन्होंने अपने सामने ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा देवेंद्र आदि देवताओं को खड़ा पाया। उन्होंने अपने मृतक पुत्र को जीवित तथा अपनी पत्नी को राजसी वस्त्र तथा आभूषणों से परिपूर्ण देखा। वास्तव में एक ऋषि ने राजा की परीक्षा लेने के लिए यह सब कौतुक किया था परंतु अजा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ऋषि द्वारा रची गई सारी माया समाप्त हो गई और अंत समय में हरिश्चंद्र अपने परिवार सहित स्वर्ग लोक को चले गए।
अजा एकादशी व्रत का महत्व
अजा एकादशी के बारे में शास्त्रों में वर्णित है कि इस व्रत को करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि अजा एकादशी का व्रत रखने की शुरुआत दशमी से ही हो जाती है। इस व्रत को करने वाले व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एकादशी अशुभ प्रभावों को दूर करके शुभ फल देने वाली है। इस व्रत को करने से मनोकामना पूरी होती है। सभी वैष्णव या श्री कृष्ण के भक्त उनकी प्रसन्नता के लिए यह व्रत इसलिए करते हैं ताकि मृत्यु से पहले उन्हें भगवद्दर्शन हो सके। अजा एकादशी व्रत का उपवास व्यक्ति को अर्थ- काम से ऊपर उठकर मोक्ष और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। यह व्रत प्राचीन समय से यथावत चला आ रहा है।
अजा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने पूजा करने से इंद्रियों को नियंत्रित करने की प्रेरणा मिलती है। माना जाता है कि जो व्यक्ति अपने इंद्रियों को नियंत्रण में कर लेता है, उसे संसार का रहस्य समझ में आ जाता है और सारे प्रकार के दुखों से छुटकारा मिल जाता है।
अजा एकादशी पूजा विधि (Aja Ekadashi Pooja Vidhi)
- अजा एकादशी के दिन सूर्य निकलने से पहले उठना होता है, स्नान करके साफ वस्त्र पहने जाते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए इस दिन बाल नहीं धोने चाहिए।
- पूजा घर में या पूर्व दिशा में किसी स्वच्छ जगह पर एक चौकी पर भगवान का आसन लगाया जाता है। उस पर एक गेहूं की ढेर रखकर कलश में जल भरकर उसकी साधना की जाती है।
- कलश पर पान के पत्ते लगाकर नारियल रखा जाता है।
- भगवान विष्णु की प्रतिमा के समक्ष बैठकर उन्हें नमस्कार किया जाता है। चंदन का तिलक कर के फूल- हार चढ़ाये जाते हैं और फिर दीपक जलाया जाता है।
- विष्णु स्तुति, विष्णु चालीसा और अजा एकादशी व्रत कथा पढ़ी जाती है।
- इसके बाद भगवान विष्णु की आरती की जाती है।
- भगवान को मौसमी फलों का भोग लगाया जाता है, साथ ही तुलसी दाल का भोग भी अवश्य लगाया जाता है।
अजा व्रत रखने की विधि
जिस व्यक्ति को अजा एकादशी का व्रत रखना होता है, उन्हें एकादशी से एक दिन पहले दोपहर के समय ही भोजन कर लेना चाहिए। रात को भोजन नहीं करना चाहिए। ताकि पेट में खाने का अंश ना रहे। अजा एकादशी का व्रत बहुत कठिन होता है। एकादशी व्रत करने वालों के लिए किसी तरह का अन्न ग्रहण करना वर्जित माना गया है। इस दिन पूरे समय निर्जला उपवास किया जाता है, दूसरे दिन सुबह व्रत का पारण किया जाता है।
Frequently Asked Questions
Answer: Aja ekadashi 2024 is being observed on Thursday, 29 August 2024.
Answer: Aja ekadashi tithi starts at 1:18 AM on 29 August 2024.
Answer: It ends at 1:36 AM on 30 August 2024.