Bhishma Ashtami 2023: Date, Story, Vrat Katha, Puja Vidhi, Timing, Muhurat, and More
भीष्म अष्टमी 2023 शनिवार, 28 जनवरी 2023 को है। भीष्म अष्टमी एक हिंदुओं का त्योहार है। महाकाव्य महाभारत के भीष्म जिन्हे हम गंगा पुत्र के नाम भी जानते हैं, उनके लिए ये त्योहार मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भीष्म पितामह इसी दिन अपने शरीर से विदा हुए थे। यह दिन भीष्म अष्टमी के रूप में जाना जाता है और ये तिथि ही भीष्म पितामह की पुण्यतिथि है।
भीष्म अष्टमी हिंदू कैलेंडर में माघ के महीने के दौरान मनाई जाती है। यह जनवरी-फरवरी के महीनों के अनुरूप है। कई हिंदू माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को भीष्म अष्टमी के रूप में उपवास करते हैं। इस बार व्रत 28 January शनिवार को रखा जाएगा।
What is Bhishma Ashtami 2023 – भीष्म अष्टमी क्या है
माघ शुक्ल अष्टमी को भीष्म अष्टमी कहा जाता है। ये भीष्म पितामह की पुण्यतिथि है, जो महान भारतीय महाकाव्य, महाभारत के सबसे प्रमुख पात्रों में से एक हैं। इस दिन को भीष्म अष्टमी के रूप में जाना जाता है। भीष्म ने ब्रह्मचर्य को अपनाया और जीवन भर इसका पालन किया। अपने पिता के प्रति निष्ठा और भक्ति के कारण भीष्म को अपनी मृत्यु का समय चुनने का वरदान प्राप्त था।
उस दिन से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार भीष्म ने शरीर छोड़ने से पहले 58 दिनों तक प्रतीक्षा की थी। भीष्म पितामह ने उत्तरायण के शुभ दिन यानी जिस दिन भगवान सूर्य दक्षिणायन के छह महीने की अवधि पूरी करने के बाद उत्तर दिशा की ओर बढ़ना शुरू करते हैं, उस दिन अपना शरीर छोड़ा था।
बाणों की शैय्या पर लेटे रहने पर भी वे उसी स्थिति में बने रहे और फिर संक्रान्ति के दिन शरीर त्याग दिया। हिंदुओं का मानना है कि जो Uttarayana के दौरान मरता है वह स्वर्ग (Heaven) जाता है।
Bhishma Ashtami Vrat Katha 2023 – Story of Bhishma Ashtami
माघ माह की अष्टमी को प्रति वर्ष भीमाष्टमी के रूप में मनया जाता है। इसी दिन भीष्म पितामह ने अपने शरीर को छोड़ दिया था, इसीलिये ये दिन उनका निर्वाण दिवस है। पुरानी कथाओं के अनुसर, भीष्म पितामह का असली नाम देवव्रत था। वो हस्तिनापुर के राजा शांतनु की रानी गंगा के पुत्र थे। एक समय की बात है, राजा शांतनु शिकार खेलते गंगा तट के पार चले गए। वहीं से वापस आते समय उनकी मुलाकात केवट की पुत्री मत्स्यगंधा से हुई। मत्स्यगंधा बहुत ही खूबसुरत थी। उन्हें देख शांतनु उन पर मोहित हो गए।
राजा शांतनु हरिदास के पास जाकर उसकी पुत्री का हाथ मांगते हैं। लेकिन वो राजा के प्रस्ताव को ठुकरा देते हैं और कहते हैं कि महाराज आपका बड़ा पुत्र देवव्रत है, जो आपके राज्य का उत्तराधिकार है। यदि आप मेरी कन्या के पुत्र को राज्य का उत्तराधिकारी बनाने की घोषणा करें तो मैं मत्स्यगंधा का हाथ आपके हाथ में देने को तैयार हूं।
लेकिन राजा शांतनु इस बात को मानने से इंकार कर देते हैं। ऐसे ही कुछ समय बीत जाता है, लेकिन वे मत्स्यगंधा को भुला नहीं पाते और दिन रात उनकी याद में खोए रहते हैं। ये सब देख देवव्रत ने एक दिन अपने पिता से उनकी परेशानी का कारण पूछा। सारी बातें सुनने पर वो खुद ही हरिदास के पास गए और उनकी जिज्ञासा को शांत करने के लिए गंगा जल हाथ में ले कर शपथ ली कि मैं अब सारा जीवन अविवाहित ही रहूंगा।
देवव्रत की इसी मुश्किल प्रतिज्ञा के कारण उनका नाम भीष्म पितामह पड़ा। तब राजा शांतनु ने खुश हो कर अपने पुत्र को इच्छा मृत्यु का वरदान दिया। महाभारत के युद्ध की समाप्ति पर जब सूर्य देव दक्षिणरायण से उत्तरायण हुए तब भीष्म पितामह ने अपना शरीर त्याग दिया। इस लिए माघ शुक्ल अष्टमी को उनका निर्वाण दिवस मनाया जाता है।
Bhishma Ashtami Subh Mahurat 2023 – Time and Duration
The auspicious date and time to celebrate Bhishma Ashtami 2023 are given below.
- 28 जनवरी 2023 दिन शनिवार को भीष्म अष्टमी मनाई जाएगी।
- माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 जनवरी 2023 प्रातः 08:43
- माघ शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि समापन- 29 जनवरी 2023 प्रातः 09:05
Bhishma Ashtami Vrat Vidhi 2023 – How to celebrate Bhishma Ashtami 2023
The step by step process of Bhishma Ashtami Celebration 2023 is given below. भीष्म अष्टमी व्रत विधि इस प्रकार है:
- सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करे। बाहर जाना संभव न हो तो घर पर ही स्नान करें।
- स्नान के बाद हाथ में तिल, जल आदि लेकर जनेऊ को कंधे पर लेकर दक्षिणाभिमुख (South Facing) होकर तर्पण (libation of water) करना चाहिए।
- तर्पण के समय इस मंत्र का जाप करे:
वैयाघ्रपदगोत्रय सांकृत्यप्रवराय च |
गंगापुत्राय भीष्माय सर्वदा ब्रह्मचारिणी ||
भीष्म: शांतनवो वीर: सत्यवादी जितेन्द्रिय: |
अभिभिद्रवापनोतु पुत्रपुत्रोचिताम क्रियाम ||
- विधिपुर्वक तर्पण करने के बाद पुन: जनेऊ को बये कंधे पर ले और गंगापुत्र भीष्म को अर्घ्य (offering) दे|
Benefits of Bhishma Ashtami Vrat 2023
According to mythological experts, there are multiple benefits of observing Bhishma Ashtami Vrat 2023. A few of them are as follows.
- श्रद्धालुओं का दावा है कि भीष्म अष्टमी पर पूजा और व्रत करने से भक्तों के परिवारों को ईमानदार और आज्ञाकारी संतान होने का आशीर्वाद मिलता है।
- भीष्म अष्टमी की पूर्व संध्या पर व्रत, तर्पण और पूजा सहित विभिन्न अनुष्ठानों को करने से, भक्त अपने पिछले और वर्तमान पापों से छुटकारा पाते हैं और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- यह व्रत पितृ दोष से पीड़ित लोगों को राहत दिलाने में भी सहायक होता है।
Teachings of Bhishma Pitamah
ये हैं भीष्म पितामह की कुछ अद्भुत शिक्षाएं जिनका पालन हम सभी कर सकते हैं:
- सभी कार्य पूरे होने चाहिए क्योंकि अधूरे कार्य नकारात्मकता की निशानी होते हैं।
- धर्म पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
- शांति प्राप्त करने के लिए क्रोध से मुक्त होना सीखें और लोगों को क्षमा करें।
- चीजों और लोभ से जुड़ने से बचें।
- कड़ी मेहनत करो, सभी की रक्षा करो और दयालु बनो।
Frequently Asked Questions
Bhishma Ashtami 2023 is falling on Saturday, 28th January 2023.
This is celebrated because it is believed that Bhishma Pitamah (one of the main characters of Mahabharata) left his body on this day.
No, it depends on you and your health. You can observe this day even without observing a fast.
Yes, it is an auspicious day. There is no restriction on buying a new home or car on this day.