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Jitiya 2023 Date Bihar: Puja Vidhi, Katha, Paran Date

Jitiya 2023 date Bihar is 6th October 2023. Check here the importance of Jitiya parv, vrat katha, puja vidhi among other important details.

जीवित्पुत्रिका व्रत अर्थात जितिया व्रत अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत में माताएं अपनी संतानों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए पूरा दिन तथा पूरी रात 24 घंटे तक निर्जला उपवास करती हैं। यह सबसे कठिन व्रतों में से एक है। अश्विन मास की कृष्ण पक्ष सप्तमी से नवमी तक जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है।

इस दिन महिलाएं सुबह सुबह उठकर गंगा स्नान करती है और पूजा करती हैं। 

Jitiya कब है?

Vrat NameJitiya Vrat
Also Popular asJivitputrika Vrat, जितिया व्रत
जितिया व्रत कब है 2023?6th of October
DayFriday

Jivitputrika Vrat Katha

पौराणिक कथा के अनुसार जब महाभारत का युद्ध हुआ, तो अश्वत्थामा नाम का हाथी मारा गया; लेकिन चारों तरफ यह खबर फैल गई की द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वत्थामा मारा गया। यह सुनकर अश्वत्थामा के पिता द्रोणाचार्य ने पुत्र शोक में अस्त्र डाल दिए। तब द्रोपदी के भाई धृष्टद्युम्न ने उनका वध कर दिया। पिता की मृत्यु के कारण अश्वत्थामा के मन में बदले की अग्नि जल रही थी। अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए वह रात के अंधेरे में पांडवों के शिविर में जा पहुंचा। उसने पांडवों के पांचों पुत्रों को सोया हुआ देखकर उन्हें पांडव समझ लिया और उनके पांचो पुत्रों  की हत्या कर दी। परिणाम स्वरूप पांडवों को अत्यधिक क्रोध आ गया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा से उसकी मणि छीन ली, जिसके बाद अश्वत्थामा पांडवों से क्रोधित हो गया और उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को जान से मारने के लिए उसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। भगवान श्री कृष्ण इस बात से भलीभांति परिचित थे की ब्रह्मास्त्र को रोक पाना असंभव है।

लेकिन उन्हें उत्तरा के पुत्र की रक्षा करना जरूरी लगा। इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने अपने सभी पुण्य का फल एकत्रित करके उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को दे दिया, जिसके फलस्वरूप बच्चा पुनर्जीवित हो गया। यह बच्चा बड़ा होकर राजा परीक्षित बना। उत्तरा के बच्चे के दोबारा जीवित हो जाने के कारण इस व्रत का नाम जीवित्पुत्रिका व्रत रखा गया। गर्भ में मृत्यु को प्राप्त कर फिर से जीवन मिलने के कारण इसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। तब से ही संतान की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत किया जाता है।

Jivitputrika की दूसरी कथा

इस कथा के अनुसार गंधर्वों के एक राजकुमार थे जिनका नाम जीमूतवाहन था। वह बहुत परोपकारी थे। उनके पिता ने राजपाट छोड़ दिया और वन में चले गए, इसके बाद जीमूतवाहन को राजा बना दिया गया।

वह राजकाज ठीक से चला रहे थे लेकिन उनका मन उसमें नहीं लगता था। एक दिन वह अपना राज्य छोड़कर अपने पिता की सेवा के लिए वन में चले गए। वन में उनका विवाह मलयवती नाम की एक राज कन्या से हुआ। एक दिन जब जीमूतवाहन वन में भ्रमण कर रहे थे, तो उन्होंने एक वृद्ध महिला को विलाप करते हुए देखा। उस महिला का दुख देखकर उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने वृद्ध महिला को विलाप का कारण पूछा। इस पर वृद्ध स्त्री ने बताया कि वह नागवंश की स्त्री है और उनका एक ही पुत्र है। उसने बताया कि पक्षीराज गरुड़ को नागो ने वचन दिया है कि हर रोज एक नाग उनके पास आहार स्वरूप जाएगा और उससे वह अपनी भूख शांत किया करेंगे।

उस वृद्धा ने बताया कि आज उसके बेटे की बारी है। उसका नाम शंखचूड़ है। शंखचूड़ उसका इकलौता पुत्र है। अगर उसके इकलौते पुत्र की बलि चढ़ गई तो किसके सहारे अपना जीवन व्यतीत करेगी। यह सुनकर जीमूतवाहन का दिल रो उठा। उन्होंने कहा कि वह उनके पुत्र के प्राणों की रक्षा करेगा और उनके बदले वह जाएंगे। ऐसा कहकर जीमूतवाहन तय समय पर गरुड़ के पास पहुंच गए। जीमूतवाहन लाल कपड़े में लिपटे हुए थे। गरुड़ देव ने उनको पंजों में दबोच लिया और उड़ गए। इस बीच उन्होंने देखा जीमूतवाहन रो रहे हैं। तब वह एक पेड़ के शिखर पर रुक गए और जीमूतवाहन को मुक्त कर दिया। तब उन्होंने सारी घटना बताई।

गरुड़ देव जीमूतवाहन की साहस और दया की भावना को देखकर बहुत खुश हुए। उन्होंने जीमूतवाहन को जीवन दान दे दिया। साथ ही उन्होंने भविष्य में नागों की बलि ना लेने की बात भी कही। इस प्रकार एक मां के पुत्र की रक्षा हुई। मान्यता है कि तब से ही पुत्र की रक्षा के लिए जीमूतवाहनकी पूजा की जाती है। इसलिए इस व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत कहा जाता है।

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जितिया व्रत पूजन विधि (Jivitputrika Vrat Poojan Vidhi)

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद साफ वस्त्र पहने जाते हैं।
  • सुबह स्नान करने के बाद व्रतीको प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को साफ किया जाता है।
  • इसके बाद एक छोटा सा तालाब बनाकर तालाब के पास एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ी कर दी जाती है।
  • इसके बाद शालीवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की मूर्ति जल के पात्र में स्थापित की जाती है।
  • फिर उन्हें दीप, धूप, अक्षत, रोली, लाल और पीली रूई से सजाया जाता है और उन्हें भोग लगाया जाता है।
  • इसके बाद मिट्टीतथा गाय के गोबर से चील और सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है, इनके माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है।
  • जीवित्पुत्रिका व्रत की कथापढ़ी एवं सुनी जाती है।
  • मां को 16 पेड़ा, 16 दूब की माला, 16 खड़ा चावल, 16 गांठ का धागा, 16 लौंग,16 इलायची, 16 पान, 16 खड़ी सुपारी और श्रृंगार कासामान अर्पित किया जाता है।
  • वंश की वृद्धि और प्रगति के लिए उपवास कर बांस के पत्रों से पूजा की जाती है।

Jivitputrika व्रत का महत्व

सुहागन स्त्रियां संतान प्राप्ति के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं। यह व्रत संतान की खुशहाली और समृद्धि के लिए भी किया जाता है। मानते हैं कि इस व्रत को करने से संतान की लंबी उम्र होती है। इस व्रत को वंश वृद्धि के लिए बहुत विशेष माना जाता है। कहते हैं कि जो स्त्रियां अपनी संतान के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत करती हैं, उनकी संतान को चारों ओर से यश की प्राप्ति होती है।

Jitiya 2023 Date Bihar

जीवित्पुत्रिका का व्रत Friday, 6 October 2023 को है।

6 October 2023 को 6:34AM बजे अष्टमी तिथि शुरू होगी।

7 October 2023 को 8:08AM बजे अष्टमी तिथि खत्म होगी।

Frequently Asked Questions

Jitiya kab hai?

6 October 2023 को

जीवित्पुत्रिका व्रत का क्या महत्व है?

यह व्रत संतान की लंबी उम्र और मंगल कामना के लिए रखा जाता हैं।

जितिया व्रत में पानी पी सकते हैं क्या?

नहीं

जितिया व्रत का पारण कब है?

7 अक्टूबर को

Simeran Jit

Simeran has over 5 years of experience in content writing. She has been a part of the Edudwar Content Team for last 4 years. She holds her expertise in writing about festivals and government schemes. Other than her profession, she has a great interest in dance and music.

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