Karka Sankranti 2023: तिथि, पूजा विधि, कर्क संक्रांति का महत्व, कर्क संक्रांति पर स्नान दान का महत्व
सूरज जब किसी राशि में प्रवेश करता है तो इसे संक्रांति कहा जाता है। सूरज प्रत्येक राशि में प्रवेश करता है। इसलिए 12 Sankranti होती है। इनमें से मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति का विशेष महत्व माना जाता है। जिस तरह से मकर संक्रांति से अग्नि तत्व बढ़ जाता है और चारों तरफ सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार होने लग जाता है।
उसी तरह कर्क संक्रांति से जल की अधिकता हो जाती है। इससे वातावरण में नकारात्मकता आने लग जाती है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सूरज के उत्तरायण होने से शुद्धता में वृद्धि होती है और वही सूरज के दक्षिणायन होने से नकारात्मक शक्तियां प्रभावी होने लग जाती हैं और देवताओं की शक्तियां कमजोर होने लग जाती हैं ।
Karka Sankranti 2023 Date
Sankranti | Karka Sankranti 2023 |
Date | July 16, 2023 |
Day | Sunday |
Karka Sankranti Importance (कर्क संक्रांति का महत्व)
कर्क संक्रांति से मानसून की शुरुआत हो जाती है। जोकि कृषि के समय का प्रतीक माना जाता है। जो देश में एक आमदन का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। दक्षिणायन का समापन मकर सक्रांति के साथ होता है और इसके बाद उत्तरायण आता है।
दक्षिणायन के सभी 4 महीनों के दौरान भगवान विष्णु जी की पूजा की जाती है। इस दौरान पूर्वजों के लिए पित्र तर्पण किया जाता है। लोग पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए कर्क संक्रांति की प्रतीक्षा करते हैं।
कर्क संक्रांति से दक्षिणायन की शुरुआत
Karka Sankranti से ही दक्षिण यान की शुरुआत हो जाती है। जिसकी अवधि 6 महीने तक रहती है। सूर्य देव एक राशि में 1 महीने तक विराजमान रहते हैं। ऐसे कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि में 6 महीने तक दक्षिणायन की अवधि रहती है। ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार 1 साल में दो आयन होते हैं।
आयन का अर्थ है परिवर्तन। इसका मतलब साल में दो बार सूरज की स्थिति में परिवर्तन होता है। सूरज 6 महीने तक उत्तरायण में रहता है और 6 महीने तक दक्षिणायन में रहता है।
कर्क संक्रांति पर स्नान दान का महत्व
Karka Sankranti के दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और सूर्य भगवान से सदा स्वस्थ रहने के लिए कामना की जाती है। भगवान शिव, विष्णु और सूर्य देव के पूजन का कर्क संक्रांति के दिन खास महत्व माना जाता है। कर्क संक्रांति के दिन सहस्त्र नाम का जाप किया जाता है।
कर्क संक्रांति से 4 महीने तक कोई शुभ काम या नया काम शुरू नहीं किया जाता। इस दौरान दान, पूजन और पुण्य का काम शुरू हो जाते हैं। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए दान पुण्य किया जाता है। कर्क संक्रांति में भगवान विष्णु जी के पूजन का खास महत्व होता है। यह पूजन देवउठनी एकादशी तक निरंतर जारी रहता है।
कर्क संक्रांति की कथा
शास्त्रों में पारंपरिक धारणा है कि सृष्टि का कार्यभार संभालते हुए भगवान विष्णु जी बहुत थक जाते हैं। तब माता लक्ष्मी जी भगवान जी से निवेदन करती है कि कुछ समय उन्हें सृष्टि चिंता और भार महादेव को देना चाहिए। तब हिमालय से महादेव जी पृथ्वी पर आ जाते हैं और 4 महीने तक संसार की सारी गतिविधियां वही संभालते हैं।
जब 4 महीने पूरे हो जाते हैं। तो शिवजी जी कैलाश की तरफ वापस लौटते हैं। एकादशी का दिन होता है। जिसे देवउठनी एकादशी या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन हरिहर का मिलन होता है। भगवान अपना कार्यभार आपस में बदल लेते हैं क्योंकि भगवान शिव जी व्यस्त होते हुए भी सन्यासी हैं और उनके राज में विवाह आदि कार्य वर्जित माना जाता है; फिर भी पूजा और अन्य पर्व धूमधाम से मनाये जाते हैं।
असल में देवताओं का सोना प्रतीकात्मक होता है। इन दिनों में कुछ शुभ सितारे भी आलोप हो जाते हैं। जिनके उदित रहने से मंगल कामों में शुभ आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। इस दिन सूर्य देव के साथ कई अन्य देवता भी नींद में चले जाते हैं। कर्क संक्रांति पर सृष्टि का भार शिव जी ने संभाल लिया था।
इसलिए श्रावण के महीने में शिवजी का पूजन का महत्व बढ़ जाता है और इस तरह से त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। इसलिए इस काल में सिर्फ पुण्य अर्जन और देव पूजा का ही प्रचलन शामिल है।
कर्क संक्रांति की पूजा विधि
- कर्क संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर दैनिक क्रियाओं से मुक्त होकरकिसी पवित्र नदी, तलाब या जल कुंड में स्नान किया जाता है।
- स्नान करने के बाद सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है।
- अर्घ्य देने के बाद सूर्य मंत्र का जाप किया जाता है।
- इसके बाद विष्णु भगवान जी की पूजा की जाती है।
- पूजा के बाद सहस्त्रनाम स्रोत का जाप किया जाता है।
- जिससे शांति और सौभाग्य की प्राप्ति की जा सकती है।
- कर्क संक्रांति पर भगवान विष्णु जी के साथ सूर्य देव की पूजा अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त करने के लिए की जाती है।
कर्क संक्रांति के दिन किए जाने वाले उपाय
- कर्क संक्रांति के दिनकर्क राशि में सूर्य के प्रवेश पर “घृणि सूर्याय आदित्यया” मंत्र का जाप 108 बार किया जाता है।
- कर्क संक्रांति के दिन गरीबों को अन्न,धन और वस्त्र का दान दिया जाता है।
- कर्क संक्रांति के दिन पीपल या बरगद का पेड़ लगाना पुण्य दायक माना जाता है।
- यदि किसी व्यक्ति का सूरज नीचे है तो तो तांबे का कड़ा या छल्ला पहनना चाहिए।
- संक्रांति के दिन सूर्यास्त से पहले दिन में कभी भी “ओम आदित्यया नमः “मंत्र का जाप जितना संभव हो करना चाहिए।
कर्क संक्रांति के दिन ध्यान देने योग्य बातें
- कर्क संक्रांति के दिन कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता।
- इस दिन कोई भी मांगलिक कार्य या नया कार्य शुरू नहीं किया जाता।
- कर्क संक्रांति के दिन मांगलिक काम के लिए पूजा, ध्यान, दान और सेवा जैसे कार्य नहीं किए जाते।
कर्क संक्रांति तिथि (Karka Sankranti 2023 Date)
कर्क संक्रांति तिथि 16 जुलाई, 2023 Sunday के दिन होगी।
Frequently Asked Questions
Yes, this day is considered highly auspicious.
Lord Vishnu
It is from 5:03 PM to 07:21 PM on 16th July 2023.