Kumbha Sankranti 2024: तिथि, पूजा के लाभ, पूजा का महत्व

Kumbha Sankranti 2024 falls on 13th February 2024.
यह एक महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। इस दिन सूरज मकर से कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। कुंभ संक्रांति पर दान करने का काफी महत्व माना जाता है। कुंभ संक्रांति के दिन गौमाता का दान करना सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। हिंदू धर्म में त्योहारों और पर्वों का उल्लेख किया जाता है। जिसमें कुंभ संक्रांति का भी बहुत महत्व माना जाता है। जो भी व्यक्ति कुंभ संक्रांति के दिन श्रद्धापूर्वक सूर्य देवता की पूजा अर्चना करता है। उसे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

Kumbha Sankranti 2024 Date & Time

Sankranti Name  Kumbha Sankranti 2024
Date February 13, 2024
DayTuesday
Punya Kaal February 13 (9:57 AM to 3:54 PM)
Maha Punya Kaal February 13 (2:02 PM to 3:54 PM)

Kumbha Sankranti Importance

शास्त्रों में कुंभ संक्रांति की महिमा का वर्णन किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कुंभ संक्रांति का महत्व पूर्णिमा, अमावस्या और एकादशी तिथि से ज्यादा माना जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार Sankranti के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान करने से पापों से मुक्ति भी मिलती है। कुंभ संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व माना जाता है। दान करने से 2 गुना ज्यादा पुण्य की प्राप्ति होती है।

Kumbha Sankranti के दिन स्नान का महत्व

Kumbh Sankranti Importance

कुंभ संक्रांति के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से या तीन बार डुबकी लगाने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से मनुष्य को जन्म, पुनर्जन्म और मृत्यु मोक्ष की प्राप्ति होती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार कुंभ संक्रांति के दिन अगर स्नान किया जाए, तो व्यक्ति को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।

इस दिन गंगा में स्नान करने से बुरे कामों और पापों से मुक्ति मिल जाती है। देवी पुराण की मान्यता अनुसार यदि कोई व्यक्ति कुंभ संक्रांति के दिन स्नान नहीं करता है, तो वह व्यक्ति कई जन्मों तक दरिद्र रहता है।

Kumbha Sankranti Katha

कुंभ संक्रांति की कथा इस प्रकार है, एक बार देवताओं और राक्षसों ने मिलकर मंथन की पहाड़ी का उपयोग करते हुए दूध के सागर को मंथन के रूप में और वासुकी को रस्सी के रूप में मंथन करने का फैसला किया। भगवान विष्णु जी ने एक विशाल कछुए का रूप धारण कर लिया था। अपनी मजबूत पीठ पर मंथन की छड़ी का समर्थन किया। इस मंथन से समुद्र में से कई चीजें निकली और आखिर में अमृत का बर्तन निकलता है। अमृत के पात्र को राक्षसों से बचाने के लिए देवताओं ने अमृत के बर्तन को प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक सहित चार स्थानों पर छिपा दिया था।

इन चारों स्थानों में कुंभ मेले के दिन अमृत नीचे गिर जाता है। इसी कारण इन चारों स्थानों को पवित्र स्थानों का महत्व दिया जाता है। यही कारण है कि इन चार स्थानों पर स्नान करने से मनुष्य को पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन विधि विधान से पूजा करने से जीवन के दौरान समृद्धि और जीवन के बाद अमृत के लिए नेतृत्व करने के लिए कहा जाता है।

Kumbha Sankranti Puja Vidhi

  • कुंभ संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए ।इसदिन सूरज देवता की पूजा की जाती है।
  • कुंभ संक्रांति के दिन आदित्य ह्रदय स्रोत का पाठ किया जाता है। यह पाठ करने से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है और सुख बना रहता है।
  • कुंभ संक्रांति के दिन सूरज कवच, सूरज चालीसा, सूरज मंत्र, सूरज आरती, सूरज नाम वाली आदि का विधि विधान से जाप किया जाता है।
  • कुंभ संक्रांति के दिन दान करने का बहुत महत्व होता है। इस दिन खाद्य वस्तुओं, वस्त्रों और गरीबों को दान देना अत्यंत फलदाई माना जाता है। इस दिन शुद्ध घी का दान सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसके अलावा गरीब बच्चों में संतरा, फल बांटना अच्छा माना जाता है।
  • संक्रांति के दिन सोने, तांबे, पीतल, कांस्य या चांदी के छोटे कलश का दान करना शुभ माना जाता है।
  • कुंभ संक्रांति के देना गंगा स्नान का बहुत महत्व माना जाता है। गंगा नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन सुख समृद्धि आने के लिए मां गंगा का ध्यान किया जाता है। यदि कुंभ संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करना संभव ना हो तो यमुना, गोदावरी या किसी और पवित्र नदी में स्नान करके पुण्य प्राप्त किया जा सकता है। इस दिन नदी में स्नान संभव नहीं हो तो नदियों के मंत्र के साथ घर में ही स्नान का पुण्य प्राप्त किया जा सकता है।
  • कुंभ संक्रांति के दिन पुराने कपड़ों का त्याग करके सारे नए कपड़े धारण किए जाते हैं।

कुंभ संक्रांति के दिन सूरज देव की पूजा का महत्व

ज्योतिष शास्त्रों में सूर्य देव को ग्रहों का देवता माना जाता है। सूर्य देव को आत्मा का कारक भी माना जाता है। सूरज के कुंभ संक्रांति के अवसर पर पवित्र नदियों या कुंड में स्नान करना शुभ माना जाता है। कुंभ संक्रांति के दिन सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन विधि विधान से पूजा करने का विशेष महत्व होता है।

पूजा के बाद सूरज देवता की आरती और स्तुति करना शुभ माना जाता है। इस देना सूरज  सरिता का पाठ करना अधिक फलदाई माना जाता है। कुंभ संक्रांति के दिन सूर्य देव की पूजा करने से सूर्य देवता की कृपा बनी रहती है और व्यक्ति सभी पापों  और कष्टों से मुक्त हो जाता है।

कुंभ संक्रांति पूजा के लाभ 

  • कुंभ संक्रांति के दिन पूजा करने से मनुष्य को मृत्यु के बाद उत्तम धाम की प्राप्ति होती है।
  • सुमित संक्रांति के दिन शुभ मुहूर्त में इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य को दुखों से जल्दी छुटकारा मिल जाता है।
  • कुंभ संक्रांति के दिन आदित्य हृदय स्त्रोत शुभ फलदायक माना जाता है।
  • आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करने से सूरज देवता प्रसन्न होते हैं।
  • कुंभ संक्रांति के दिन विधि विधान से पूजा करने से घर परिवार में सभी लोगों के ऊपर कोई रोग या मुसीबत नहीं आता है।

Frequently Asked Questions

When is Kumbha Sankranti 2024?

This year, Kumbha Sankranti falls on 13th February.

What should we do on Kumbh Sankranti?

Taking a bath in holy rivers is considered highly auspicious on Kumbh Sankranti. You should also donate warm clothes, blankets etc on this day.

What is the time of Maha Punya Kaal?

February 13 (2:02 PM to 3:54 PM)

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