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Mithun Sankranti 2024: मिथुन संक्रांति के दिन किये जाने वाले उपाय, मिथुन संक्रांति तिथि

Mithun Sankranti 2024: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ही एक ऐसा ग्रह है, जो कभी वक्री नहीं होता बल्कि यह हमेशा मार्गी रहता है।सूरज हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। सूरज के राशि के परिवर्तन तिथि को संक्रांति कहा जाता है। एक साल में 12 Sankranti होती है। जिसमें से एक संक्रांति ‘मिथुन संक्रांति’ है। मिथुन संक्रांति के दिन सूरज वृषभ राशि से मिथुन राशि में गोचर करता है। जेठ महीने में सूरज देव मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं।

जिस कारण इसे मिथुन संक्रांति कहा जाता है। इस दिन सूरज देव की पूजा करने का विशेष महत्व माना जाता है। ज्योतिष के नजरिए से यदि सूरज भगवान प्रसन्न हो जाए तो शुभ फल की प्राप्ति की जा सकती है। सभी त्योहारों में यह पर्व बेहद खास माना जाता है।

मिथुन संक्रांति 2024 तिथि और शुभ मुहूर्त

मिथुन संक्रांति 15 जून को प्रातःकाल 7:15 बजे से शुरू होकर 16 जून को सुबह 5:26 बजे तक मानी जाएगी

अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक

विजय मुहूर्त: सुबह 9:33 बजे से 10:21 बजे तक

अमृत मुहूर्त: सुबह 6:10 बजे से 7:00 बजे तक

Mithun Sankranti Importance (मिथुन संक्रांति का महत्व)

मिथुन संक्रांति को शास्त्रों में बहुत ही उत्तम माना जाता है। मिथुन संक्रांति के दिन सूरज देव की पूजा विधि विधान से की जाती है। हिंदू धर्म में इस त्योहार का बहुत महत्व माना जाता है। मिथुन संक्रांति के दिन पुण्य फल प्राप्त करने के लिए दान धर्म के कार्य किए जाते हैं। यह त्योहार प्रकृति में बदलाव का संकेत माना जाता है।

शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस दिन से वर्षा की ऋतु शुरू हो जाती है। जब सूरज देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में प्रवेश करते हैं, तो सभी नक्षत्रों में राशियों की दिशा बदल जाती है। सूरज जब कृतिका नक्षत्र से रोहिणी नक्षत्र में आते हैं, तो बारिश की संभावना बन जाती है।

इसके साथ ही अच्छी खेती के लिए लोग भगवान से बारिश की मनोकामना करते हैं। मिथुन संक्रांति को रज पर्व भी कहा जाता है। रज पर्व के दिन भगवान सूरज देव  को प्रसन्न करने के लिए व्रत किया जाता है।

मिथुन संक्रांति के दिन स्नान का महत्व

मिथुन संक्रांति के दिन पवित्र नदी या जलकुंड में स्नान करने का बहुत महत्व माना जाता है। इस दिन यदि किसी पवित्र नदी में स्नान करना संभव ना हो तो घर में ही जल में गंगाजल डाल के स्नान किया जा सकता है ।स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल दिया जाता है।

मिथुन संक्रांति के दिन सूरज को जल देने से जीवन में संपन्नता, समाज में मान सम्मान, उच्च पद प्रतिष्ठा और सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है ।

मिथुन संक्रांति की कथा 

मिथुन संक्रांति की कथा इस प्रकार है:

कहा जाता है कि प्रकृति ने महिलाओं को मासिक धर्म का वरदान प्रदान किया है। इस वरदान के कारण मातृत्व का सुख मिलता है। मिथुन संक्रांति कथा के अनुसार जैसे महिलाओं को मासिक धर्म होता है। वैसे ही भूदेवी यह धरती मां को शुरुआत के 3 दिनों तक मासिक धर्म हुआ था।

इसी को धरती के विकास का प्रतीक माना जाता है। 3 दिन तक भूदेवी मासिक धर्म में रहती है और चौथे दिन में भूदेवी जिसे सिलबट्टा कहा जाता है। उसे स्नान कराया जाता है। मिथुन संक्रांति के दिन धरती माता की पूजा की जाती है।

उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर में आज भी भगवान विष्णु की पत्नी भूदेवी की चांदी की प्रतिमा विराजमान है। मिथुन संक्रांति के दिन विधि विधान से पूजा और व्रत करने से बहुत से लाभ मिलता है।

मिथुन संक्रांति की पूजा विधि 

  • मिथुन संक्रांति केदिन सिलबट्टे को भूदेवी के रूप में पूजा जाता है।
  • इस दिन सिलबट्टे को दूध और पानी से स्नान कराया जाता है।
  • इसके बाद सिलबट्टे पर चंदन, सिंदूर, फूल और हल्दी चढ़ाया जाता है ।
  • मिथुन संक्रांति के दिन पूर्वजों या पितरों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
  • मिथुन संक्रांति के दिन गुड, चावलके आटे, नारियल और देसी घी से बनी हुई मिठाई पोड़ा, पीठा बनाया जाता है।
  • इस दिन चावल ग्रहण नहीं किया जाता।
  • मिथुन संक्रांति के दिनब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने से सूर्य भगवान को प्रसन्न किया जा सकता है ।

मिथुन संक्रांति सूर्य देव की साधना 

मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य उदय होने से पहले उठकर स्नान किया जाता है। इसके बाद सूर्य देव की पूजा के लिए उगते हुए सूरज का दर्शन करते हुए ‘ओम घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए जल अर्पित किया जाता है। सूरज को दिए जाने वाले जल में लाल रोली, लाल फूल मिलाकर दिया जाता है।

सूरज को अर्घ देने के बाद लाल आसन में बैठकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके सूर्य के मंत्र का जाप 108 बार किया जाता है।

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मिथुन संक्रांति के दिन किए जाने वाले उपाय

  • मिथुन संक्रांति के दिन सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान किया जाता है।
  • फिर सूर्य देव को धूप धूप दीप दिखाकर आरती की जाती है। फिरसूर्य देव को प्रणाम किया जाता है और 7 बार परिक्रमा की जाती है।
  • इस दिन गरीब और जरूरतमंदों को दान करने का संकल्प लिया जाता है।
  • मिथुन संक्रांति के दिन हरे रंग की वस्तुओं का दान किया जाता है।
  • मिथुन संक्रांति के दिन पालक, मूंगऔर हरे रंग के वस्त्रों का दान करना अत्यंत फलदाई माना जाता है।
  • मिथुन संक्रांति केदिन नमक खाए बिना व्रत रखने से सारी परेशानियां दूर हो जाती है।
  • सूर्य देव की पूजा करने के लिए तांबे की थाली या तांबे के लोटे का प्रयोग किया जाता है।
  • थाली में लाल चंदन, लाल फूल, और घी का दीपक रखा जाता है। दीपक, तांबे या मिट्टी कादीपक रख सकते हैं।
  • सूर्यदेव को अर्घ्य देने वाला पानी जमीन पर नहीं गिरने दिया जाता। इस पानी को किसी तांबे के बर्तन में अर्घ्यगिराया जाता है।
  • फिर इस पानी को किसी पेड़ पौधे में डाल दिया जाता है।

FAQs

What is the date of Mithun Sankranti in 2023?

June 15 (Thursday)

June महीने की संक्रांति कब है?

15th of June

When is Maha Punya Kala on Mithun Sankranti?

6:29 PM to 07:20 PM on 15th of June

Simeran Jit

Simeran has over 5 years of experience in content writing. She has been a part of the Edudwar Content Team for last 4 years. She holds her expertise in writing about festivals and government schemes. Other than her profession, she has a great interest in dance and music.

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