Rang Panchami 2023: रंग पंचमी त्योहार का महत्व, रंग पंचमी तिथि, संबंधित प्रश्न
होली का त्योहार प्रमुख रूप से 5 दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन पर होलिका को जलाया जाता है जो कि होलिका दहन कहलाता है। दूसरे दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं। पांचवें दिन रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। होली का पांचवा दिन अर्थात चैत्र कृष्ण पंचमी को रंग पंचमी कहा जाता है और इस दिन कई जगह बहुत ही धूमधाम से रंग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है। रंग पंचमी को कई राज्यों में कृष्ण पंचमी भी कहा जाता है।
विशेष रूप से यह त्यौहार मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, धनबाद, हिमाचल एवं उत्तराखंड में मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर देवी-देवताओं की काफी पूजा अर्चना की जाती है और विशेष तौर पर राधा कृष्ण जी की पूजा की जाती है। मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र में तो इस दिन शोभायात्रा निकाली जाती है। इस विशेष दिन पर गोवा और महाराष्ट्र में मछुआरों की बस्ती में विशेष आयोजन किए जाते हैं। नाच गाने से लेकर खाने-पीने तक का सारा इंतजाम किया जाता है। मछुआरे एक दूसरे के घर पर मिलने जाते हैं और शादी तय करने के लिए भी उनके अनुसार यह काफी सर्वोत्तम दिन होता है इसलिए वह नई रिश्तेदारी भी इसी दिन शुरू करते हैं। राजस्थान में भी अलग ही उत्साह इस दिन देखने को मिलता है।
रंग पंचमी के इस पावन दिन को इसलिए विशेष माना जाता है क्योंकि दिव्य शक्तियां इस दिन नकारात्मक शक्तियों से ज्यादा प्रभाव दिखाती हैं और कहते हैं कि हर प्रकार की नकारात्मक शक्ति इस दिन खत्म हो जाती है। बसंत पंचमी के बाद ही यह त्यौहार शुरू होता है। चैत्र मास की कृष्ण पक्ष को पंचमी का यह त्यौहार कृष्ण पंचमी के नाम से जाना जाता है और मनाया जाता है।
भारत में कैसे मनाते हैं रंग पंचमी का त्यौहार?
भगवान श्री कृष्ण के साथ-साथ राधा रानी की पूजा अर्चना करते हुए दिन की शुरुआत की जाती है। शोभा यात्रा इस दिन विशेष रूप से कई राज्यों में निकाली जाती है। लोग एक-दूसरे पर गुलाल उड़ाते हैं। घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं तथा रिश्तेदारों एवं मित्रों में बांटे जाते हैं। नृत्य संगीत का आनंद लेते हुए रंग पंचमी का उत्सव मनाया जाता है।
रंग पंचमी से जुड़े हुए पौराणिक तथ्य
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार रंग पंचमी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण ने राधा के साथ होली खेली थी इसीलिए यह त्यौहार हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा मान्यता रखता है। शास्त्रों में भी कहा गया है कि रंग पंचमी का त्योहार नकारात्मक शक्तियों पर विजय पाने का दिन होता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार कामदेव के भस्म हो जाने पर देवलोक में काफी उदासी छा गई थी। जब भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना पर काम देकर फिर से जीवित होने का आश्वासन दिया तो देवता लोग काफी ज्यादा खुश हो गए और उस दिन उन्होंने रंग का त्यौहार मनाया तभी से रंग पंचमी का त्यौहार प्रचलित है।
एक और मान्यता के अनुसार रंग पंचमी देवी देवताओं को समर्पित त्यौहार है और इस दिन यदि पवित्र मन से पूजा पाठ किया जाए तो भगवान स्वयं लोगों को आशीर्वाद देते हैं और उनकी कुंडली में जो दोष छुपे हुए होते हैं उन्हें दूर करते हैं।
रंग पंचमी के दिन किए जाने वाले कार्य
- इस दिन राधा कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है और उन्हीं के भजन कीर्तन किए जाते हैं।
- इस दिन को काफी शुभ माना जाता है इसलिए माता लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है ताकि घर में धन-धान्य की कभी कमी ना हो।
- आध्यात्मिक ज्ञान बढ़ाने के लिए भी इसी दिन का चयन किया जाता है।
- इस दिन लोग आसमान में गुलाल उड़ाते हैं क्योंकि उनका मानना है कि इससे नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।
- रंग पंचमी के दिन जिन स्थानों पर शोभायात्रा निकाली जाती है वहां पर लोग तैयार होकर पहुंच जाते हैं और एक दूसरे के साथ मिलजुलकर रंग उड़ाते हैं।
रंग पंचमी तिथि 2023 (Rang Panchami Date)
12 मार्च, 2023 को रविवार के दिन रंग पंचमी का त्यौहार मनाया जाएगा।
10:10 मिनट पर रंग पंचमी का मुहूर्त रात के समय शुरू होगा जो कि 10:05 पर 12 मार्च के दिन खत्म होगा।
Rang Panchami FAQ’s
(Q1) 2023 में रंग पंचमी किस दिन मनाई जाएगी?
(Ans.) 2023 में रंग पंचमी 12 मार्च रविवार के दिन को मनाई जाएगी।
(Q2) रंग पंचमी होली के कितने दिन बाद मनाई जाती है?
(Ans) रंग पंचमी होली के त्यौहार के 5 दिनों के बाद मनाई जाती है।
(Q3) रंग पंचमी के दिन किन देवी देवताओं की पूजा की जाती है?
(Ans) इस विशेष दिवस पर राधा कृष्ण की विशेष रूप से पूजा अर्चना की जाती है। इसी दिन मां लक्ष्मी का भी आवाहन किया जाता है क्योंकि लोगों का यह मानना है कि इस दिन यदि लक्ष्मी मां की पूजा की जाए तो घर में कभी धन की कमी नहीं रहती।
(Q4) कौन-कौन से राज्यों में विशेष तौर पर रंग पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है?
(Ans) रंग पंचमी का त्योहार वैसे तो सभी राज्यों में ही मनाया जाता है परंतु बहुत ज्यादा हर्ष उल्लास के साथ यह त्यौहार महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गोवा में मनाया जाता है। इन राज्यों में बहुत बड़े पैमाने पर शोभायात्रा निकाली जाती है। इस शोभायात्रा में बहुत सारे लोग सम्मिलित होते हैं और आसमान में रंग गुलाल उड़ाते हैं।
(Q5) रंग पंचमी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
(Ans) हिंदू ग्रंथों के अनुसार रंग पंचमी के दिन ही भगवान श्री कृष्ण जी ने राधा के साथ होली खेली थी; इसीलिए इस त्यौहार का ज्यादा महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यदि इस विशेष दिवस पर आसमान में गुलाल उड़ाया जाए तो साकार तनुजा का प्रभाव बढ़ जाता है और नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।
(Q6) रंग पंचमी के दिन क्या-क्या उपाय किए जाते हैं?
- रंग पंचमी के दिन लोग काले तिल और हल्दी जल में डालकर मुंह हाथ धोते हैं; इस दिन मां सरस्वती और मां लक्ष्मी को गुलाब के फूल चढ़ाए जाते हैं; गुलाब की अगरबत्ती भी जलाई जाती है।
- कई जगहों पर रुई की दो बाती वाली कि दीपक जलाई जाती है और मां लक्ष्मी को सफेद रंग की मिठाई तथा सेब चढ़ाया जाता है।
- कुछ स्थानों पर खिचड़ी बनाई जाती है और मां सरस्वती को तथा मां लक्ष्मी को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है।
- सूर्य देव की पूजा की जाती है तथा जल और शहद मिलाकर सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
- भगवान शिव को नारियल अर्पित करने के लिए नारियल पर सिंदूर छिड़ककर अर्पित किया जाता है तथा तांबे का कलश लेकर उसमें मशहूर भर लिए जाते हैं वह भी शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है।