Tula Sankranti 2023: Date and Time, स्नान दान का महत्व
संक्रांति एक सौर घटना होती है। पूरे साल में 12 संक्रांति होती है। हर राशि में सूरज के प्रवेश करने पर है। उस राशि का Sankrannti Parv मनाया जाता है। हर संक्रांति का अपना अलग महत्व होता है। शास्त्रों में संक्रांति की तिथि और समय को बहुत महत्व दिया जाता है। सूरज जब कन्या राशि से तुला राशि में प्रवेश करता है तो उसे तुला संक्रांति कहा जाता है।
Hindu Calendar के मुताबिक यह कार्तिक महीने में आती है। यह संक्रांति कई बार दुर्गा अष्टमी पर नवरात्रि में भी पड़ जाती है, जिसे पूरे भारत में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। राशि परिवर्तन के समय सूर्य भगवान की पूजा की जाती है।
Tula Sankranti 2023 Tithi
Sankranti Name | Tula Sankranti |
Date | 18 October 2023 |
Day | Tuesday |
तुला संक्रांति का महत्व
तुला संक्रांति में सूरज के बदलाव के कुछ दिनों बाद में शरद ऋतु खत्म हो जाती है और हेमंत ऋतु शुरू हो जाती है। ज्योतिष अनुसार ऋग्वेद संहित पदम, स्कंद और विष्णु पुराण के साथ ही सूरज पूजा का महत्व बताया जाता है।
तुला संक्रांति का प्रभाव जातकों पर अलग-अलग पड़ता है। किसी राशि के जातकों के लिए सूर्य की चाल अच्छी रहती है, तो किसी राशि के जातकों के लिए खतरनाक हो सकती है।
इसलिए शुभ फल पाने के लिए तुला संक्रांति के दिन स्नान, दान और सूर्य पूजा करने से हर तरह के पाप दूर हो जाते हैं। इससे उम्र बढ़ती है। सूर्य पूजा से सकारात्मक ऊर्जा और इच्छा शक्ति बढ़ती है।
तुला संक्रांति के दिन स्नान दान का महत्व
तुला संक्रांति के दिन स्नान और दान का विशेष महत्त्व बनाया जाता है। इस दिन लोग ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करने के लिए जाते हैं। स्नान करने के बाद ब्राह्मणों को दान दिया जाता है।
ऐसा करने से व्यक्ति की राशि पर पड़ने वाला प्रतिकूल प्रभाव कम हो जाता है। यदि किसी वजह से नदी में स्नान करना संभव ना हो ,तो घर में ही स्नान के पानी में गंगाजल डालकर स्नान किया जा सकता है।
नहाने के बाद सूर्य देव को जल में अक्षत और मीठा डालकर अर्पित किया जाता है। इस दिन उगते सूरज को अरे देना बेहद पुण्यकारी माना जाता है।
तुला संक्रांति की परंपरा
उड़ीसा में तुला संक्रांति के वक्त के दौरान धान के पौधों मैदाने आने शुरू हो जाते हैं। इसी खुशी में मां लक्ष्मी कारण आभार जताया जाता है और उन्हें ताजे धान चढ़ाए जाते हैं।
कई इलाकों में गेहूं और कारा पौधे की टहनियां की चढ़ाई जाती हैं। फसलों को सुखा, बाढ़,कीट और बीमारियों से बचाव के रखने के लिए लहलहाती फसल के लिए मां लक्ष्मी से प्रार्थना की जाती है।
तुला संक्रांति की कहानी
प्राचीन भारतीय साहित्य स्कंद पुराण में कावेरी नदी की उत्पत्ति से संबंधित कई कहानियां शामिल है। इसमें से एक कहानी विष्णु माया नामक एक लड़की के बारे में है। जो भगवान ब्रह्मा की बेटी थी जो कि बाद में कावेरा मुनि की बेटी बन गई थी। कावेरा मुनि ने ही विष्णु माया को कावेरी नाम दिया था।
अगस्त्यमुनि को कावेरी से प्यार हो गया था और उन्होंने उससे शादी कर ली थी। एक दिन अगस्त्यमुनि अपने कामों में इतने व्यस्त थे कि वे अपनी पत्नी कावेरी से मिलना भूल जाते हैं।
उनकी लापरवाही के कारण, कावेरी अगस्त्यमुनि के स्नान टैंक में गिर जाती है और कावेरी नदी के रूप में भूमि और तीनों नदियों को अपने पूरे पाठ्यक्रम से तला कावेरी से मिलता है। तभी से इस दिन को कावेरी संक्रमण या फिर तुला संक्रांति के रूप में जाना जाता है।
तुला संक्रांति की पूजा विधि (Tula Sankranti Puja Vidhi)
- तुला संक्रांति के दिन देवी लक्ष्मी और देवी पार्वती की पूजा की जाती है।
- इस दिन देवी लक्ष्मी को ताजे चावल अनाज, गेहूं के अनाजों और कराई पौधों की शाखाओं के साथ भोग लगाया जाता है।
- जबकि देवी पार्वती को सुपारी के पत्ते, चंदन की पेस्ट के साथ भोग लगाया जाता है।
- तुला संक्रांति का पर्व अकाल तथा सूखे को कम करने के लिए मनाया जाता है, ताकि फसल अच्छी हो और किसानों को अधिक से अधिक कमाई करने का लाभ प्राप्त हो।
- कर्नाटक में नारियल को एक रेशम के कपड़े से ढका जाता है और देवी पार्वती का प्रतिनिधित्व मालाओं से सजाया जाता है।
- उड़ीसा में एक और अनुष्ठान चावल, गेहूं और दालों की उपज को मापना है ताकि कोई कमी ना हो।
तुला संक्रांति के दिन किए जाने वाले उपाय
- इस दिन किसान चावल की फसल आने की खुशी मनाते हैं। तुला संक्रांति पर पवित्र कुंड में स्नान करना शुभ माना जाता है।
- तुला संक्रांति के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस पूजा में किसान देवी लक्ष्मी को अपनी फसल के कुछ बीज चढ़ाते हैं,और अच्छी फसल पाने के लिए प्रार्थना की जाती है।
- मान्यता है कि तुला संक्रांति के दिन परिवार सहित देवी लक्ष्मी की पूजा करने से और उन्हें चावल अर्पित करने से भविष्य में अनाज की कमी नहीं रहती है।
- कर्नाटक में तुला संक्रांति के दिन नारियल को सिल्क के कपड़े से ढककर उसे फूलों से सजा कर देवी पार्वती को अर्पित किया जाता है।
तुला संक्रांति पर सफलता प्राप्त करने के टोटके
- तुला संक्रांति के दिन मां लक्ष्मी की पूजा अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त करने के लिए की जाती है।
- जिनकी कुंडली में सूरज नीच का हो, उस व्यक्ति को सूर्य शांति की पूजा और दान करना चाहिए।
- जो लोग नौकरी करते हैं, उन्हें तुला संक्रांति के महीने में उच्च अधिकारियों उपहार देना चाहिए, ऐसा करने से सफलता के रास्ते खुलते हैं।
- इस महीने भाग्य उदय के लिए अपने पिताजी का आशीर्वाद लेना चाहिए।
- तुला संक्रांति पर गरीब को उनके जरूरत के अनुसार चीजें भेंट में देनी चाहिए। इससे मनुष्य के जीवन के कष्ट समाप्त हो जाते हैं।
- अगर सूरज के कारण आप बहुत परेशान है, तो तुला संक्रांति के दिन गेहूं का दान करना चाहिए।
तुला संक्रांति के दिन ध्यान रखने वाली बातें
- तुला संक्रांति के दिन अपने खानेमे से कुछ हिस्सा जरूरतमंदों के लिए जरूर निकालना चाहिए।
- तुला संक्रांति के दिन पहली रोटी गाय को दी जाती है।
- तुला संक्रांति के दिन क्रोध और वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए।
Tula Sankranti 2023 Date
तुला संक्रांति तिथि 18 अक्टूबर, 2023 बुधवार के दिन होगी।
Frequently Asked Questions
18th of October
18 October (From 6:23 AM to 12:06 PM)
18 October (From 6:23 AM to 08:18 AM)